परिचय (Introduction):
तिहार जिसे “दीपावली” नाम से भी जाना जाता है, नेपाल का दूसरा सबसे बड़ा महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह पर्व वह हिंदू धर्मलंबी के लोग मनाते हैं। और नेपाल में इसकी विशेष सांस्कृतिक महत्ता है। तिहार का पांच दिवसीय उत्सव है प्रकृति, पालतू, पशुओं, और परिवार के संबंधों को सम्मान देने के रूप में देखा जाता है। यह केवल दीप और उत्सव सजावट के लिए नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के अलग-अलग रूप और भाई-बहन के बीच संबंधों का प्रतीक भी माना जाता है। इस लेख में तिहार के पांचों दिनों का विस्तृत वर्णन और इसके सांस्कृतिक महत्व का प्रकाश डाला गया है।
तिहार का पहला दिन: काग तिहार (First day of Tihar: Kaag Tihar):
तिहार के पहले दिन को “काग तिहार” के रूप में माना जाता है, जो कौवे की पूजा का दिन होता है। कौवे पर इतना विश्वास है कि कौवे मृत्यु के घर से संदेश लेकर आते हैं और उनकी कृपा से बुरी घटनाओं से बचा सकते हैं।
उत्सव की प्रक्रिया (Celebration procedure):
इस दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर अपने घरों की बगीचा या दरवाजा पर कौवे के लिए भोजन अर्पित करते हैं। चावल, मीठे-मीठे पकवान, और दही जैसी चीजें कौवे के लिए रखी जाती है। ऐसा माना जाता है कि कौवे को प्रसन्न करने से यमराज को भी प्रसन्न किया जा सकता है, जिससे परिवार के सदस्य को रक्षा होती है। और इस दिन का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि यह प्रकृति और पक्षियों के साथ तालमेल बनाए रखने की सीख भी देता है।
तिहार का दूसरा दिन: कुकुर तिहार (Second day of Tihar: Kukur Tihar):
तिहार के दूसरे दिन को “कुकुर तिहार” के नाम से जाना जाता है। हिंदू धर्म में कुत्तों को धर्मराज का साथी माना जाता है। कुत्तों की सुरक्षा की भावना का सम्मान करते हुए इस दिन उन्हें विशेष आदर किया जाता है।
उत्सव की प्रक्रिया (Celebration procedure):
कुकुर तिहार पर लोग अपने पालतू और गली के कुत्तों को भी पूजा करते हैं। उन्हें माला पहनाई जाती है। और उनके माथे पर लाल टीका लगाया जाता है और उनके साथ फोटो भी खिंचवाई जाती है, इसके बाद कुत्तों को मीठा खाना, मांस और अन्य पसंदीदा व्यंजन खिलाए जाते हैं। इस दिन कुत्तों की मानव समाज में उनके योगदान का सम्मान किया जाता है। यह दिन हमें उन जानवरों का ध्यान रखने की शिक्षा देता है जो हमारी सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
तिहार का तीसरा दिन: गाय तिहार और लक्ष्मी पूजा (Third Day of Tihar: Cow Tihar and Laxmi Puja):
तीसरे दिन दो महत्वपूर्ण रूपों में मनाया जाता है —- सुबह गाय तिहार और शाम को लक्ष्मी पूजा। गाय हिंदू धर्म में विशेष रूप से पवित्र माना जाता है और इसे माता का दर्जा दिया जाता है। गाय को धन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लक्ष्मी पूजा के दौरान लोग देवी, लक्ष्मी, धन की देवी की पूजा करते हैं, जो सुख-समृद्धि और खुशहाली प्रदान करती है।
उत्सव की प्रक्रिया (Celebration procedure):
सुबह, लोग गाय की पूजा करते हैं। गाय को फूलों की माला पहनाई जाती है, और उनके माथे पर लाल टीका लगाकर विशेष व्यंजन खिलाए जाते हैं। और उसके साथ फोटो भी खिंचवाई जाती है यह पूजा कृषि और पशुपालन के महत्व को दर्शाती है, जो नेपाल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की होती है।
शाम के समय में लक्ष्मी पूजा की जाती है। घर की सफाई की जाती है, दीये जलाए जाते हैं और रंगोली बनाई जाती है। हर कोने-कोने को दीपों से सजाया जाता है, ताकि देवी लक्ष्मी का स्वागत हो सके। लोग घर के मुख्य दरवाजे से पूजा का कक्ष तक एक पगडंडी बनाते हैं, जिससे यह विश्वास किया जाता है की लक्ष्मी घर में प्रवेश करती है और धन -समृद्धि प्रदान करती है। लक्ष्मी पूजा के समय लोग मिठाई और उपहार का आदान-प्रदान भी करते हैं।
तिहार का चौथा दिन: गोवर्धन पूजा और म्ह पूजा (Fourth Day of Tihar: Govardhan Puja and Mha Puja):
चौथे दिन को “गोवर्धन पूजा” और “म्ह पूजा” के रूप में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना का स्मरण करते हुए यह पूजा करते हैं, जिसे उन्होंने अपने भक्तों को इंद्र के क्रोध से बचाने के लिए किया था। म्ह पूजा नेपाल की नेवर समुदाय में आत्मा-पूजा के रूप में मनाई जाती है, जो आत्मा की शक्ति और शुद्धता का प्रतीक हो।
उत्सव की प्रक्रिया (Celebration procedure):
गोवर्धन पूजा में लोग गोवर्धन पर्वत का प्रतीक रूप में गोबर से छोटा सा पहाड़ बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही, बैलों की पूजा भी की जाती है जो कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
म्ह पूजा मुख्य रूप से नेवर समुदाय द्वारा मनाई जाती है, इसमें आत्मा की शुद्धि और सम्मान के लिए विशेष पूजा किया जाता है। नेवारी लोग इस दिन खुद की पूजा करते हैं और अपने शरीर और आत्मा को सम्मानित करते हैं, ताकि अगले वर्ष में भी उनका स्वास्थ्य और जीवन सुरक्षित रहे।
तिहार का पाँचवा दिन: भाई टीका (भाई दूज) (Fifth Day of Tihar: Bhai Tika (Bhai Dooj):
तिहार के पाँचवें दिन यानी अंतिम दिन को “भाई टिका” या “भाई दूज” के रूप में भी मनाया जाता है। यह दिन भाई-बहन के प्रेम और उनके बीच अटूट बंधन को समर्पित है। भाई टिका के दिन बहनें अपने भाइयों के माथे पर टीका लगाती है और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती है। और खुशहाली के कामना करती है बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं, और उनकी सुरक्षा का वचन देते हैं भाई-बहन इस दिन खूब अच्छे से नाचते- गाते हैं और अनोखा प्रेम बढ़ाते हैं। और बहुत सारा व्यंजन पकवान खाने के लिए बनाते हैं साथ में मिलकर खाते हैं और फोटो भी खिंचवाते हैं।
उत्सव की प्रक्रिया (Celebration procedure):
भाई टिका की शुरुआत बहने अपने भाइयों को टीका लगाकर करती है, जो विभिन्न रंगों से बनी होती है। टीका लगाने के बाद उन्हें माला पहनाई जाती है और विशेष पकवान खिलाए जाते हैं। भाई बहनों को उपहार देकर उनका सम्मान करते हैं। और उनको वचन देता है कि हर एक पल उनके रक्षा कर सके। इस दिन का उद्देश्य भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत करना और एक दूसरे के प्रति प्रेम और समर्पण को दर्शाता है।
तिहार के सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू (Cultural and Social Aspects of Tihar):
सामाजिक बंधन को मजबूत करना (Strengthening social bonds):
तिहार का सबसे बड़ा महत्व यह है कि परिवार, दोस्त, और समुदाय को एकजुट करता है। त्यौहार के दौरान लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलते हैं, उपहार का आदान-प्रदान करते हैं, नाचते हैं गाते हैं और साथ में मिलकर इस पर्व का आनंद उठाते हैं। भाई टिका के दिन भाई बहन के रिश्ते को और गहरा किया जाता है, जिससे पारिवारिक बंधन को और मजबूत करती है।
पशु और प्रकृति के प्रति सम्मान (Respect for animals and nature):
तिहार का पर्व मनुष्य के लिए नहीं है, बल्कि प्रगति के बीच के संबंधों को भी दर्शाता है। कौवों, कुत्तों, गायों और बैलों की पूजा के माध्यम से यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हम केवल मानव समुदाय का ही नहीं है, बल्कि प्रकृति और पशु पक्षियों का भी हिस्सा है और उनकी देखभाल हमारी जिम्मेदारी होती है।
समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक (Symbol of prosperity and good luck):
लक्ष्मी पूजा के दिन धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी पूजा की जाती है, जो हर घर में सुख शांति और समृद्धि लाने की मान्यता है। इस दिन घर को दीपों से सजाया जाता है, और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है जिससे यह पर्व धन और सौभाग्य का प्रतीक बन जाता है।
रंगोली और सजावट (Rangoli and decorations):
तिहार के दौरान घरों के बाहर रंगोली बनाने की परंपरा है, जो विभिन्न रंगों और डिजाइनों से बनाई जाती है। यह सिर्फ सौंदर्य के लिए नहीं है, बल्कि यह देवी, लक्ष्मी, के स्वागत के लिए भी है भी महत्वपूर्ण है। रंगोली से घर की सजावट और भी खूबसूरत दिखती है, जो खुशी और उत्साह का प्रतीक होता है।
निष्कर्ष (Conclusion):
तिहार दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह नेपाल के समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें प्रकृति, पशु-पक्षियों और परिवार के प्रति आदर और प्रेम की भावना सिखाता है। यह त्यौहार नेपाल के समाज को जोड़ने रिश्तो को मजबूत करने और समृद्धि का जश्न मनाने का भी एक अवसर है। पाँच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान हर व्यक्ति अपने आसमान की प्रकृति अपने प्रिय जनों और जीवन के सुखों के लिए आभार व्यक्त करता है।