परिचय (Introduction):
रंगाली बिहू असम का सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। जो तीन अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है, रंगाली बिहू (Bohag Bihu), भोगाली बीहू (Magh Bihu), और काती बिहू (Kati Bihu)। रंगाली बिहू जिसे बोहाग बीहू भी कहा जाता है। असम का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है, यह फसल कटाई का उत्सव है और साथ ही असमिया नववर्ष की शुरुआत का भी प्रतीक होता है। रंगाली बिहू के दौरान लोग एक दूसरे को बधाई और उपहार देते हैं, खुशियां मनाते हैं, यह त्यौहार प्रेम, प्यार, स्नेह, का संदेश देता है।
आईए इस लेख में हम रंगाली बिहू के अवसर पर कौन-कौन से उपहार दिए जाते हैं, और इनका महत्व क्या है इनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे।
गमोचा (Gamucha):
गमोचा क्या है (what is gamocha):
गमोचा असम का एक पहचान है। असम की सबसे महत्वपूर्ण और सांस्कृतिक वस्त्र में से गमोचा एक है, यह एक सफेद रंग का कपड़ा होता है, जिसमें लाल रंग की बनाई भी होती है, सिर्फ एक साधारण कपड़ा नहीं है, बल्कि यह असम का सम्मान और पहचानका भी प्रतीक होता है।
गमोचा उपहार देने की परंपरा (Tradition of gifting gamocha):
रंगाली बिहू के समय में गमोचा को उपहार में देना बहुत ही महत्वपूर्ण और पुरानी परंपरा है। यह बड़ो गुरु या प्रियजनों को आदर्श किया जाता है। यह उपहार देने का अर्थ होता है कि आप उस व्यक्ति को सम्मान करते हैं। बिहू के समय लोग अपने घरों में नए-नए गमोचा खरीदने हैं, और बड़ों को, रिश्तेदारों को, आदान-प्रदान करते हैं।
गमोचा का महत्व (Importance of Gamocha):
असम में गमोचा का महत्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। असम के लिए गमोचा सम्मान, आदर्श, प्रेम, स्नेह, का प्रतीक होता है। यह उपहार के रूप में देने से रिश्तों और भी मजबूत करता है, और भावनाओं को प्रकट करने का एक सुंदर तरीका भी होता है। बिहू के समय गमोचा उपहार में देने से यह माना जाता है, कि आप उनको दिल से सम्मान करते हैं और उनके पति प्रेम, प्यार, स्नेह, बाढ़ते हैं।
पिथा और लारु (Pitha and Laru):
पिथा और लारु क्या है (what is pitha and laru):
पिथा और लारु असमिया का एक महत्वपूर्ण मिठाई है। यह विशेष रूप से चावल और नारियल से बनाई जाती है, पिथा और लारु असम के हर घर में रंगाली बिहू के समय में बनाई जाती है। और यह एक दूसरे के साथ आदान-प्रदान करते हैं। यह पिथा लारु बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं यह भी असम का एक पहचान है।
पिथा और लारु का महत्त्व (Importance of father and Lalu):
पिथा और लारु सिर्फ मिठाई नहीं होता है, यह भी खुशी और प्रेम, स्नेह, का भी प्रतीक होता है। इसे बनाने में बहुत ही मेहनत लगता है, और इसे उपहार के रूप में देना यह दर्शाता है की यह समय बहुत ही आदर्श होता है। बिहू के समय उपहार देने से रिश्ते को और भी मजबूत बना सकते हैं, और एक दूसरे के साथ प्रेम बांटने का भी मौका मिलता है। इन्हें खाने और उपहार में देने से रिश्ते में मीठास आती है। और आपस में प्रेम बढ़ता है।
असमिया परिधान (Assamese Apparel):
पारंपरिक असमिया वस्त्र क्या होते हैं? (What are the traditional Assamese clothes?):
असम के पारंपरिक वस्त्र में से ‘मेखला चादर’ एक है। बिहू के समय लोग पारंपरिक असमिया वस्त्र पहनते हैं, महिलाओं के लिए मेखला चादर और पुरुषों के लिए धोती कुर्ता असमिया पारंपरिक परिधान होते हैं। यह वस्त्र असम की संस्कृति और धरोहर का प्रतीक भी होता है, मेखला चादर पहनने से असम के लोग बहुत ही सुंदर लगते हैं।
परिधान उपहार देने की परंपरा (The tradition of gifting apparel):
बिहू के समय महिलाएँ अपने रिश्तेदार, दोस्तों, और प्रियजनों को मेखला चादर उपहार के रूप में देते हैं। यह उपहार स्नेह, प्रेम, बांटने का भी मौका होता है, यह उपहार स्नेह और बधाई देने का एक पारंपरिक तरीका होता है। और पुरुष भी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों, को धोती कुर्ता उपहार के रूप में देते हैं, विशेषकर महिलाएँ अपने मायके में दोस्तों, अपने मम्मी, चाची को भी सुंदर-सुंदर मेखला चादर उपहार के रूप में देकर बिहू की शुभकामनाएं देती है।
असमिया परिधान का महत्व (Importance of Assamese Attire):
असम का पहचान ही असमिया परिधान होता है। इन्हें उपहार देना बहुत ही पारंपरिक और खास होता है,यह सिर्फ उपहार ही नहीं होते, बल्कि इसमें जुड़े हुए भावनाओं, प्रेम, स्नेह, भी होता है। और उपहार देने से रिश्तों को और भी मजबूत बनाते हैं, बिहू के समय एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम प्रकट करने का माध्यम बनता है।
पान और सुपारी (Betel leaf and betel nut):
पान और सुपारी का महत्व क्या है? (What is the importance of betel leaf and betel nut?):
पान और सुपारी असम का एक पहचान है। पान और सुपारी से भी असम के लोगों को पहचान सकते हैं, असम में पान और सुपारी का सेवन पारंपरिक रूप से किया जाता है। और अतिथि आने पर यह देना एक पारंपरिक उपहार है, इसे आदान-प्रदान करने की परंपरा भी काफी पुरानी है। पान और सुपारी को असमिया संस्कृत में प्रेम आधार और सामूहिक कथा का प्रतीक भी माना जाता है।
पान और सुपारी उपहार देने की परंपरा (Tradition of gifting Paan and Betel Nut):
बिहू के समय में पान और सुपारी बड़ों को भेंट और सम्मान दिए जाने वाले उपहार है। यह प्रेम और सम्मान का प्रतीक भी होता है। यह उपहार के रूप में देने से असम की पहचान और भी बड़ जाते है। और यह उपहार में देने से यह संदेश जाना जाता है कि आप सामने वाले का दिल से सम्मान करते हैं, और उनके आशीर्वाद की अपेक्षा रखते हैं।
पान और सुपारी का सांस्कृतिक महत्व (Cultural significance of betel leaf and betel nut):
पान और सुपारी सिर्फ खाने की चीज नहीं है, बल्कि यह असम की एक पहचान और संस्कृति का भी हिस्सा होता है। यह उपहार देना एक पारंपरिक तरीका होता है, बिहू के समय पर पान और सुपारी का आदान-प्रदान करना रिश्तो में मिठास लाता है। और आपस में सम्मान भी बढ़ता है, इसलिए असम में कोई अतिथि आने से उसको पहले पान और सुपारी दिया जाता है।
आमंत्रण के उपहार (invitation gifts):
भोज का महत्व (The importance of communion):
रंगाली बिहू के दौरान एक बहुत ही खास परंपरा है कि लोग अपने घरों में दोस्तों, रिश्तेदार, और परिवारों को बुलाते हैं। और भोजन का आयोजन भी करते हैं, बिहू का मुख्य उद्देश्य होता है सब लोग इकट्ठा होकर सुख- समृद्धि, प्रेम, स्नेह, को बांटना, इसके लिए भोज का आयोजन महत्वपूर्ण होता है।
भोजन के लिए आमंत्रित करना (invite to a meal):
बिहू के समय में भोज पर आमंत्रित करना यह एक पारंपरिक तरीका है। बिहू के समय में लोग अपने रिश्तेदारों, प्रियजनों, दोस्तों, को भोजन पर आमंत्रित करते हैं। और बिहू का खुशी और भी बढ़ावा देते हैं। लोग अपने घरों में पारंपरिक व्यंजन जैसे पिथा और लारु, मछली, इत्यादि तैयार करते हैं। और एक साथ आनंद लेते हैं।
भोजन का सांस्कृतिक महत्व (Cultural significance of food):
भोजन को आदान-प्रदान करके साथ में भोजन खाना असमीना परंपरा का एक प्रतीक है। भोज के लिए आमंत्रित करना बिहू के दौरान सबसे विशेष उपहार माना जाता है, यह एकता, प्रेम, स्नेह, का प्रतीक होता है।
सजावट की वस्तुएं (Decorative items):
सजावट का महत्व (The importance of decoration):
बिहू के समय में घरों को सजाना एक परंपरा होती है। सिर्फ बिहू के त्योहारों में ही घर नहीं सजाते, बल्कि हर त्यौहार में घर सजाना बहुत ही परंपरा होती है। और महत्वपूर्ण भी है, घर का आंगन और पूजा स्थल भी अच्छे से सजाया जाता है, सजावट की वस्तुएं जैसे हाथ से बनी टोकरी, बांस से बने शोपीस, और असमिया का पहचान गमोचा और पान सुपारी, यह भी पारंपरिक उपहार के रूप में सजाए जाते हैं।
सजावट की वस्तुएं उपहार के रूप में (Decorative items as a gift):
बिहू के समय पर रिश्तेदार, दोस्तों, अपने प्रियजनों, परिवारों को सजावट की वस्तुएं उपहार देने की परंपरा है। यह परंपरा असम का हस्तकला होता है, और इसे देने से आपस में प्रेम बढ़ता है। बिहू के समय में अपने रिश्तेदारों, दोस्तों, और प्रियजनों, को यह भी उपहार दे सकते हैं जैसे की महिलाओं को मेखला चादर बिहू का सामान और घर में सजाने के लिए गमोचा असम का प्राकृतिक दृश्य और पुरुषों को धोती कुर्ता दे सकते हैं।
सजावट का सांस्कृतिक महत्व (Cultural significance of decorations):
सजावट की वस्तुएँ सिर्फ घर की शोभा बढ़ाने के लिए नहीं होता है, बल्कि यह असम की कला और संस्कृति का भी प्रतीक होता है। बिहू के समय सजावट की वस्तुएं उपहार के रूप में देना घर की खुशहाली की कामना को दर्शाती है।
निष्कर्ष (Conclusion):
रंगाली बिहू सिर्फ एक त्यौहार नहीं है, बल्कि यह असम की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का भी प्रतीक है। इस त्यौहार पर दिए जाने वाले उपहार जैसे गमोचा, पिथा और लारु, पारंपरिक परिधान, पान सुपारी, भोज, के लिए आमंत्रण और सजावट की वस्तुएं सिर्फ चीज नहीं होती है, बल्कि भावनाओं संबंधों का भी माध्यम होता है, बिहू पर उपहार देना प्रेम आदर्श और खुशी का भी होता है। “हैप्पी रंगाली बिहू”।