सुक्कोत: यहूदी संस्कृति और आस्था का पर्व

परिचय (Introduction):

सुक्कोत यहूदी धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे “तंबुओं का पर्व” या “झोपड़ियों का पर्व” के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार यहूदियों द्वारा मिस्र की गुलामी से मुक्ति के बाद 40 साल के रेगिस्तान प्रवास की याद में मनाया जाता है। इस दौरान, इस्राएली लोग अस्थायी झोपड़ियों  में रहते थे, जो इस पर्व का प्रतीक है। सुक्कोत का समय फसह और शावूत के बाद आता है, और यह हिब्बू कैलेंडर के सातवें महीने  तिश्री के 15 वें दिन से शुरू होता है, जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में आता है।

सुक्कोत का महत्व (The Importance of Sukkot):

सुक्कोत धार्मिक और कृषि दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। कृषि के संदर्भ में, इस फसल के त्यौहार के रूप में भी देखा जाता है, क्योंकि यह वर्ष की आखिरी बड़ी फसल के अंत में आता है। धार्मिक रूप से, यह ईश्वर की करुणा और उनकी सुरक्षा की याद में मनाया जाता है, जो उन्होंने इस्राएली लोगों के रेगिस्तान प्रवास के दौरान दी थी। इस समय, लोग यहूदी परंपरा के अनुसार अस्थायी झोपड़ियां बनाते हैं और अपने घर छोड़कर इनमें समय बिताते हैं।

सुक्काह बनाने की परंपरा (The Tradition of Building a Sukkah):

सुक्कोत की सबसे प्रमुख परंपरा है “सुक्काह” का निर्माण। यह अस्थायी संरचना होती है, जो इस्राएली लोगों द्वारा रेगिस्तान में अस्थायी घरों के रूप में बनाई जाती थी। इसका निर्माण करने के लिए लकड़ी, पत्तों और शाखाओं का उपयोग किया जाता है। इसकी छत को पत्तों या शाखाओं से ढका जाता है ताकि यह आंशिक रूप से खुल रहे, जिससे आसमान दिखाई दे सके। यह इस बात का प्रतीक है कि इंसान का जीवन अस्थायी है और ईश्वर की असली आश्रयदाता है। यहूदी परिवार इस दौरान इस सुक्काह में खाना खाते हैं, प्रार्थनाएँ करते हैं और कुछ लोग तो इसमें रात को सोते भी है।

लुलव और एत्रोग का उपयोग (Use of the lulav and etrog):

सुक्कोत की एक और महत्वपूर्ण परंपरा है ‘लुलव’ और ‘एत्रोग’ का उपयोग। लुलव तीन प्रकार के पौधों (खजूर, मर्टल, और विलो) की शाखाओं से बनता है, और एत्रोग एक प्रकार का बड़ा नींबू होता है। इन दोनों वस्तुओं को साथ मिलाकर प्रार्थना के समय एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है, जिसमें इनको चारों दिशाओं में हिलाकर ईश्वर की सर्वव्यापी शक्ति का प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया जाता है। लुलव और एत्रोग का यह प्रतीक यहूदियों के लिए ईश्वर की कृतज्ञता और दुनिया की विविधता को सम्मान देने का प्रतीक है।

सात दिन का उत्सव (Seven-day celebration):

सुक्कोत का उत्सव सात दिनों तक चलता है। पहले दिन को पवित्र मानकर इसमें कोई काम नहीं किया जाता, और इसे “यॉम टोव” कहा जाता है। इसके बाद के  छह दिनों में काम किया जा सकता है, लेकिन हर दिन धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इन दिनों के दौरान, परिवार और मित्र सुक्काह में इकट्ठा होते हैं, खाना खाते हैं, प्रार्थनाएं करते हैं और यहूदी धर्मशास्त्र का अध्ययन करते हैं।

उशपिजिन की परंपरा (Tradition of Ushpijin):

सुक्कोत के दौरान एक विशेष परंपरा होती है जिसे “उशपिजिन” कहा जाता है। यह प्रथा इस विश्वास पर आधारित है कि सात महान पैतृक आत्माएँ (अब्राहम, इसहाक, याकूब, मूसा, हारून, युसूफ, और डेविड) इस उत्सव के दौरान सुक्काह में मेहमान बनकर आते हैं।  हर दिन, एक नए पैतृक आत्मा का स्वागत किया जाता है। आधुनिक समय में, इस परंपरा को और विस्तारित करके लोग अपने परिवार और दोस्तों को भी सुक्काह में भोजन और उत्सव में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।

समकालीन  परिप्रेक्ष्य (Contemporary perspective):

आज के समय में, सुक्कोत न केवल इजराइल में बल्कि पूरी दुनिया में यहूदी समुदाय द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इजराइल में, यह समय छुट्टियां और उत्सव का होता है, जहां लोग सामूहिक रूप से सुक्काह बनाते हैं और विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेते हैं। कई लोग इस समय इजराइल के प्रमुख धार्मिक स्थलों की यात्रा करते हैं, विशेष रूप से यरूशलम,  जहां यह पर्व बेहद उल्लास और धार्मिक भावना के साथ मनाया जाता है।

शेमिनी अट्ज़ेरेत और सिमचत तोराह (Shemini Atzeret and Simchat Torah):

सुक्कोत के बाद “शेमिनी अट्ज़ेरेत” और ‘सिमचत तोराह’ आते हैं। शेमिनी अट्ज़ेरेत को सुक्कोत का आठवां दिन माना जाता है, लेकिन इसे एक अलग त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहूदी लोग ईश्वर से बारिश के लिए प्रार्थना करते हैं, ताकि आने वाले कृषि वर्ष में अच्छी फसल हो। सिमचत तोहार, जो शेमिनी अट्ज़ेरेत के अगले दिन आता है, तोहार (यहूदी धर्मग्रंथ) की वार्षिक पाठ समाप्ति और नई शुरुआत का उत्सव है। इस दिन यहूदी लोग तोहार के साथ नित्य और गीत करते हैं और इसे एक अत्यधिक हर्षोल्लास का दिन माना जाता है।

सुक्कोत के दौरान अनुष्ठान और प्रार्थना (Rituals and Prayers During Sukkot):

सुक्कोत के दौरान  प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों का विशेष महत्व है।  यहूदी धर्मशास्त्र के अनुसार, इस समय विशेष “हलल” प्रार्थनाओं का पाठ किया जाता है। इसके अलावा, “होषानोत” नामक प्रार्थनाओं में लुलव और  एत्रोग का उपयोग करते हुए ईश्वर से संरक्षण और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है। सातवें दिन, जिसे “होशाना रबा” कहा जाता है। इस्राएली परंपरा के अनुसार विशेष प्रार्थनाओं और तौबा के साथ मनाया जाता है।

सुक्कोत का समापन (Conclusion of Sukkot):

सुक्कोत का समापन शेमिनी अट्ज़ेरेत और सिमचत तोहार के साथ होता है, जो यहूदी धर्म की वार्षिक धार्मिक परंपराओं का उत्सव मनाते हैं। इस प्रकार, सुक्कोत यहूदी समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण अफसर है, जो उन्हें उनके ऐतिहासिक संघर्षों और धार्मिक धरोहर की याद दिलाता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

सुक्कोत यहूदी धर्म का एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिक परंपराओं को जीवित रखता है, बल्कि यह यहूदियों के ऐतिहासिक अनुभवों को भी उजागर करता है। इस पर्व में अस्थायी झोपड़ियों का निर्माण, लुलव और एत्रोग का उपयोग, और सात दिनों तक धार्मिक उत्सव यहूदी जीवन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।

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