परिचय (Introduction):
Rangali Bihu जिसे बोहाग बीहू भी कहा जाता है। असम का सबसे महत्वपूर्ण पर्व है, यह त्यौहार फसल कटाई के मौसम में मनाया जाता है। और असम के नववर्ष का प्रतीक भी माना जाता है, रंगाली बीहू न केवल सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा होता है, बल्कि यह लोगों के दिलों में खास जगह बनाएं रखता है। आईए जानते हैं इस त्योहार के बारे में इसके विभिन्न रूप और इससे जुड़े अनोखे रीति रिवाज के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
Rangali Bihu का अर्थ और महत्व (Meaning and Significance of Rangali Bihu):
रंगाली बिहू असम के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है। यह त्यौहार अप्रैल के मध्य में शुरू होता है, और लगभग 7-8 दिनों तक चलता है। यह समय ऐसा होता है जब नई फसल तैयार होती है, और लोग प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। असमिया नववर्ष की शुरुआत इसी त्योहार से होती है, और यह हर वर्ग, धर्म, समुदाय के लोग एक साथ मिलकर इसे धूमधाम के साथ मनाते हैं।
रंगाली बिहू को तीन प्रमुख दिनों में विभाजित किया गया है:
गोरु बिहू (गायों का बिहू) (Goru Bihu (Bihu of the Cows):
गोरु बिहू रंगाली बिहू का पहला दिन होता है। इस दिन विशेष कर गायों को नदी या बिल में ले जाकर उसे अच्छे से स्नान कराया जाता है। और उनकी देखभाल की जाती है, गायों को स्नान करने के बाद उनके गले में माला पहनाई जाती है। और स्वादिष्ट भोजन दिया जाता है, इसे एक तरह से पशुधन का आभार प्रकट करने का दिन माना जाता है, पारंपरिक गाने गाकर और नाच कर लोग इस दिन को खास बनाते हैं।
मानुह बिहू (लोगों का बिहू) (Manuh Bihu (People’s Bihu):
मानुह बीहू रंगाली बिहू का दूसरा दिन होता है। इस दिन लोग नए-नए कपड़े पहनते हैं, घर को अच्छे से साफ सफाई करते हैं, और घर के बड़े, बुजुर्गों, से आशीर्वाद लेते हैं। ताकि आने वाला समय घर परिवार में हमेशा खुशहाली बना रहे, एक-दूसरे के घर जाकर शुभकामनाएं देता है, लोग अपने घरों को सजाते हैं। असमिया भोजन जैसे पिथा, लारू, लड्डू, खासतौर पर तैयार किया जाता है, और यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।
हुसोरी बिहू (सांस्कृतिक बिहू) (Husori Bihu (Cultural Bihu):
हुसोरी बिहू रंगाली बिहू का तीसरा दिन होता है। इस दिन युवा और बुजुर्ग सभी मिलकर पारंपरिक नाच, गान, असमिया लोक नृत्य, लोक गीत का आयोजन किया जाता हैं। हुसोरी दल घर-घर जाकर गीत गाते हैं, और खुशियां बढ़ाते हैं, नित्य और संगीत इस दिन का प्रमुख आकर्षण होता है, जो इस पर्व को जीवंत बना देते हैं।
बिहू गीत और नृत्य (Bihu Songs and Dances):
रंगाली बीहू की पहचान उसके विशेष गीत और नृत्य से होती है। बिहू नित्य युवाओं के लिए बहुत ही खास होता है, यह नित्य एक उत्साह पूर्ण माहौल बनता है। लड़के और लड़कियां पारंपरिक पोशाक पहनकर बिहू नृत्य करते हैं, लड़कियां मेंखेला चादर पहनती है, और लड़के धोती और गमछा पहनते हैं, बिहू गीत प्रकृति प्रेम और जीवन के उत्सव की भावना को दर्शाती है।
Rangali Bihu पारंपरिक पकवान (Traditional dish):
रंगाली बिहू के दौरान पारंपरिक व्यंजनों का आयोजित किया जाता है। जैसे पिथा चावल के आटे से बनी मिठाई, लारू नारियल, और तिल से बने लड्डू, गुड़ और चावल से बने मिठाई, इत्यादि। इस समय सबसे ज्यादा बनाए जाते हैं, खानपान में पारंपरिक स्वाद का विशेष महत्व होता है। और लोग मिल-बांटकर खाना खाते हैं, इन व्यंजनों को मिलाकर बनाने से एकता और प्रेम की भावना भी बढ़ जाती है।
बिहू की सजावट और परंपराएं (Bihu Decorations and Traditions):
रंगाली बिहू के दौरान घर और आंगन को अच्छे से सजाया जाता है। आम के पत्तों की बंदरवार बनाई जाती है, और मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं, खेतों में नई धान की पूजा की जाती है। और भगवान से घर परिवार में सुख- शांति, समृद्धि, की कामना की जाती है, लोग पारंपरिक वाद्ययंत्र जैसे कि ढोल, पेपा, और टाल, बजाते हैं, जो इस पर्व को और भी खास बनाते हैं।
असमिया संस्कृति की झलक (A glimpse of Assamese culture):
रंगाली बिहू असमिया संस्कृति और परंपरा की एक झलक है। यह परिवार को एक साथ मिलकर खुशियां बांटने का अवसर देता है, गांव में लोग मिलकर यह उत्सव बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं, शहरों में भी यह त्यौहार बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है। जहां लोग अपने पारंपरिक गीत, नित्य, पारंपरिक व्यंजन पहनावे से इस पर्व की चमक और भी खास बनाते हैं।
नई फसल का स्वागत (Welcoming the new crop):
यह त्यौहार किसान समुदाय के लिए विशेष महत्व होता है। फसल की कटाई का यह समय उत्सव के रूप में मनाया जाता है, किसान इस पर्व के माध्यम से भगवान से आभार व्यक्त करते हैं। और नई फसल के आगमन का उत्सव मनाते हैं, हरियाली से भरी भूमि और नई फसल की महक यह परिवार को और भी खास बना देती है।
बिहू और युवाओं की भागीदारी (Bihu and youth participation):
रंगाली बिहू में युवाओं की भूमिका सबसे ज्यादा होती है। युवा पारंपरिक खेलों में भाग लेते हैं, जैसे कबड्डी, रेस, कुर्सी खेल, और अन्य खेल कूद इत्यादि में भाग लेते हैं, वह पूरे उत्साह के साथ नित्य करते हैं। आधुनिक समय में भी युवा अपनी परंपराओं को जीवित रखते हुए बिहू के समय में घर-घर में जाते हैं।
समय के साथ बदलते रूप (Changing shape over time):
समय के साथ बिहू आज भी अपने मूल्य स्वरूप में ही मनाया जाता है। परंतु समय के साथ-साथ इसमें कुछ बदला भी आए हैं, आधुनिकता के साथ लोग पारंपरिक और आधुनिक गतिविधियों को मिलाकर यह पर्व और भी बड़े धूमधाम के साथ मनाते हैं। जैसे बिहू मेला, जिस्म अलग-अलग प्रकार के खेल खाने पीने का स्टाइल, और संस्कृति कार्यक्रम का आयोजित किया जाता है, अब बड़े शहरों में भी आकर्षण का केंद्र बन गया है।
निष्कर्ष (Conclusion):
रंगाली बिहू असम की संस्कृति और परंपराओं का एक बड़ा त्यौहार है, जो हर साल नई उमंग उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह सिर्फ एक त्यौहार ही नहीं होता है, बल्कि जीवन के नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह पर्व हमें एकता, प्रेम, एक-दूसरे के प्रति बातचीत प्रेम, स्नेह, बांटने का भी समय होता है, इस हर्षोल्लास, के पर्व में हर दिल खुशी, से झूम उठता है। और हर चेहरा में मुस्कुराता है, रंगाली बिहू हमें यही सिखाता है, कि जीवन में हर छोटी-बड़ी खुशी को बड़े धूमधाम के साथ मनाना चाहिए। क्योंकि आने वाला समय के बारे में किसी को भी पता नहीं है कि कल क्या होगा इसीलिए, जो भी खुशी छोटी हो या बड़ी उसे अच्छे से धूमधाम के साथ मनाना चाहिए।