परिचय (Introduction):
Indian festival विविधताओं से भरा देश है, जहाँ हर त्योहार विशेष रूप से मनाया जाता है। यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर और पारंपरिक रीति-रिवाज हर पर्व में दिखते हैं। इन्हीं त्योहारों का हमारे फैशन और पहनावे पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब भी कोई त्यौहार आता है, हम सब नए और आकर्षक परिधानों में सजना-संवरना पसंद करते हैं। यह लेख आपको भारतीय त्योहारों के फैशन के प्रभाव को चरणबद्ध तरीके से समझाएगें।
पारंपरिक परिधान: त्योहारों की पहचान (Traditional clothing: a hallmark of festivals):
भारतीय त्योहार पारंपरिक परिधानों के बिना अधूरे लगते हैं। हर त्यौहार के साथ खास पोशाकें जुड़ी होती हैं, जो हमें अपनी संस्कृति से जोड़ती हैं।
नवरात्रि और गरबा: नवरात्रि का त्यौहार आते ही गुजरात और आसपास के क्षेत्रों में गरबा का उत्साह फैल जाता है। लोग पारंपरिक चनिया-चोली, दुपट्टा और कुर्ता पहनकर गरबा नृत्य करते हैं। कढ़ाईदार और मिरर वर्क वाले परिधान काफी लोकप्रिय होते हैं।
दीवाली: दीवाली पर महिलाएं साड़ियों, लहंगा-चोली या सूट पहनती हैं। सिल्क, बनारसी, कांजीवरम जैसी साड़ियाँ बेहद पसंद की जाती हैं। पुरुष शेरवानी, कुर्ता-पायजामा या धोती पहनते हैं, जो हमारी संस्कृति का प्रतीक है।
रक्षा-बंधन: भाई-बहन के इस पर्व पर पारंपरिक कपड़े पहनना अच्छा माना जाता है। लड़कियाँ सूट या साड़ी, और लड़के कुर्ता-पायजामा पहनते हैं।
Indian festival फैशन में आधुनिकता की झलक (A glimpse of modernity in fashion):
त्योहारों के पारंपरिक परिधानों में अब आधुनिकता की छाप देखने को मिलती है। डिजाइनर कपड़े और नए-नए फैशन ट्रेंड्स पारंपरिक कपड़ों में शामिल किए जा रहे हैं। यह बदलाव कैसे आया, आइए जानते हैं:
साड़ियाँ और मॉडर्न ब्लाउज: आजकल साड़ियों को नए तरह के ब्लाउज डिज़ाइन के साथ पहना जाता है, जैसे ऑफ-शोल्डर ब्लाउज, पेपलम स्टाइल या स्टाइलिश नेकलाइन।
लहंगा और इंडो-वेस्टर्न स्टाइल: लहंगे में बेल्ट, जैकेट, और स्कर्ट-स्टाइल की डिज़ाइन शामिल हो गई है, जो पारंपरिक और मॉडर्न लुक का अद्भुत मेल है।
मर्दों का फैशन: पुरुष भी अब पारंपरिक कपड़ों को नए अंदाज में पहनना पसंद करते हैं। कुर्ता के साथ नेहरू जैकेट या धोती के साथ स्टाइलिश शेरवानी ट्रेंड में है।
क्षेत्रीय परिधानों का महत्व (Importance of regional costumes):
भारत के अलग-अलग हिस्सों में त्योहारों के समय क्षेत्रीय परिधान खास महत्व रखते हैं। ये कपड़े न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाते हैं।
बंगाल में दुर्गा पूजा: बंगाल की दुर्गा पूजा में सफेद और लाल बॉर्डर वाली साड़ियाँ पहनने की परंपरा है। पुरुष धोती-कुर्ता पहनते हैं।
पंजाब में बैसाखी: बैसाखी पर पंजाबी सूट और पारंपरिक फुलकारी दुपट्टे पहने जाते हैं। पुरुष भांगड़ा करते समय कुर्ता और चूड़ीदार पहनते हैं।
असम में बिहू: बिहू त्योहार पर असम की महिलाएं मेखला-चादर पहनती हैं, जो हाथ से बुनी जाती है। पुरुष पारंपरिक धोती-कुर्ता पहनते हैं।
आभूषण और उनके महत्व (Ornaments and their significance):
त्योहारों के फैशन में आभूषणों की अहम भूमिका होती है। हर परिधान को पारंपरिक आभूषणों के बिना अधूरा माना जाता है।
मंगलसूत्र और कंगन: करवा चौथ और अन्य वैवाहिक त्योहारों पर मंगलसूत्र, कंगन और नथ पहनने का चलन है। यह न केवल सुंदरता बढ़ाते हैं, बल्कि पारंपरिक प्रतीक भी हैं।
माथा पट्टी और मांग टीका: दुल्हन के रूप में तैयार होने के लिए महिलाएं माथा पट्टी और मांग टीका पहनती हैं, खासकर शादियों और तीज जैसे त्योहारों पर।
चूड़ियाँ और पायल: महिलाएं चूड़ियाँ और पायल पहनकर अपने पारंपरिक लुक को पूरा करती हैं। ये आभूषण त्योहारों के माहौल को और रंगीन बना देते हैं।
त्यौहारों के अनुसार रंगों का चयन (Selection of colours according to festivals):
भारतीय त्योहारों में रंगों का विशेष महत्व होता है। हर त्यौहार के लिए खास रंगों का चयन होता है, जो हमारे पहनावे में भी झलकता है।
होली: होली रंगों का त्योहार है। सफेद कपड़े पहनकर होली खेली जाती है ताकि रंग अच्छे से दिख सकें।
करवा चौथ: करवा चौथ पर लाल और मेहरून रंग के कपड़े शुभ माने जाते हैं। ये रंग प्रेम और सौभाग्य का प्रतीक हैं।
बसंत पंचमी: पीला रंग बसंत पंचमी का प्रतीक है। लोग पीले कपड़े पहनते हैं, जो ऋतु के स्वागत का प्रतीक है।
फैशन शो और त्योहारों की थीम (Fashion shows and festival themes):
त्योहारों के फैशन ने बड़े फैशन शो और डिज़ाइनर कलेक्शनों को भी प्रभावित किया है। कई प्रसिद्ध फैशन डिजाइनर त्योहारों की थीम पर आधारित कलेक्शन बनाते हैं। इन कलेक्शनों में पारंपरिक कढ़ाई, जरी वर्क, और आधुनिक डिज़ाइन का मेल देखा जा सकता है।
पर्यावरण के प्रति जागरूकता (Environmental awareness):
अब फैशन के क्षेत्र में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी बढ़ रही है। त्योहारों के लिए लोग अब इको-फ्रेंडली कपड़े और जैविक सामग्री से बने परिधान खरीदने लगे हैं। यह एक नई सोच है जो पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देती है।
हाथ से बने कपड़े: अब त्योहारों पर खादी और हैंडलूम से बने कपड़े पहनने का चलन बढ़ रहा है। यह फैशन के साथ-साथ कारीगरों को रोजगार भी प्रदान करता है।
रीसायकल फैशन: पुराने कपड़ों को नए अंदाज में पहनना भी फैशन का एक हिस्सा बन गया है।
निष्कर्ष (Conclusion):
भारतीय त्योहारों का फैशन पर प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखता है। पारंपरिक परिधान हमारी संस्कृति और विरासत को संजोए हुए हैं, जबकि आधुनिक डिज़ाइन हमारे बदलते फैशन ट्रेंड को दर्शाते हैं। त्योहारों के अवसर पर सजना-संवरना हमारी परंपरा का हिस्सा है, और यह हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखता है। भारतीय फैशन की यह विविधता न केवल देश में, बल्कि विश्व स्तर पर भी एक अलग पहचान बनाती है।