Govardhan Puja: प्रकृति और भगवान कृष्ण के प्रति आस्था का उत्सव

परिचय (Introduction):

“Govardhan Puja”, जिसे “अन्नकूट पूजा” बुलाया जाता है, दीपावली के बाद मना जाने वाला प्रमुख हिंदू पवित्र दिवस है. यह दिवस पवित्र कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को इंद्रदेव के क्रोध से बचाने की कहानी का प्रतीक है। इस पर्व में प्रकृति, कृषि, और पशुधन की पूजा का विशेष महत्व है।

गोवर्धन पूजा का महत्व (Importance of Govardhan Puja):

गोवर्धन पूजा मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की लीलाओं और उनकी शिक्षा को याद करने के लिए मनाई जाती है। यह दिन भगवान की भक्ति और प्रकृति के संरक्षण के महत्व को दर्शाता है।

प्रकृति और कृषि की पूजा: यह त्योहार धरती माता, पशुओं, और गोवर्धन पर्वत की पूजा के माध्यम से प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करता है।

कृष्ण की शिक्षा: यह पर्व भगवान कृष्ण के संदेश को रेखांकित करता है कि अहंकार से ऊपर उठकर सभी को एक समान मानना चाहिए।

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा (Mythological Story of Govardhan Puja):

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गोकुलवासी हर साल इंद्रदेव की पूजा करते थे ताकि अच्छी बारिश हो और उनकी फसलें अच्छी हों। लेकिन भगवान कृष्ण ने उन्हें इंद्र की बजाय गोवर्धन पर्वत और प्रकृति की पूजा करने के लिए प्रेरित किया।

इंद्रदेव का क्रोध: इंद्रदेव ने क्रोधित होकर गोकुल में मूसलधार बारिश शुरू कर दी।

गोवर्धन पर्वत को उठाना: भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर गोकुलवासियों को बारिश से बचाया।

इंद्रदेव की हार: अंततः इंद्रदेव ने अपनी भूल स्वीकार की और भगवान कृष्ण की स्तुति की।

गोवर्धन पूजा की विधि (Method of Govardhan Puja):

Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा में विशेष रीति-रिवाज और परंपराएँ निभाई जाती हैं। पूजा विधि इस प्रकार है:

1. गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाना: गोबर, मिट्टी, या खाद्य सामग्रियों से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाया जाता है। इसे फूलों, पत्तियों, और रंगोली से सजाया जाता है।

2. अन्नकूट प्रसाद: भगवान को भोग लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के भोजन जैसे खिचड़ी, पूड़ी, सब्जियाँ, मिठाइयाँ आदि तैयार की जाती हैं।

3. गोवर्धन की परिक्रमा: लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और भजन-कीर्तन गाते हैं।

4. गाय और बैलों की पूजा: इस दिन गायों और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

5. दीप जलाना: घर और मंदिरों में दीप जलाए जाते हैं।

गोवर्धन पूजा का सांस्कृतिक और पर्यावरणीय महत्व (Cultural and environmental significance of Govardhan Puja):

Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक बल्कि पर्यावरणीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य में रहने की प्रेरणा देता है।

पशुधन का सम्मान: यह दिन पशुओं के महत्व को दर्शाता है, जो कृषि और ग्रामीण जीवन के लिए आवश्यक हैं।

पर्यावरण संरक्षण: यह पर्व प्रकृति और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को रेखांकित करता है।

अन्नकूट प्रसाद का महत्व (Importance of Annakut Prasad):

Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा के दौरान बनाए जाने वाले अन्नकूट प्रसाद का धार्मिक और सामाजिक महत्व है। यह भगवान के प्रति कृतज्ञता और समाज में आपसी प्रेम और एकता का प्रतीक है।

भोग में विविधता: भोग में 56 प्रकार के व्यंजन (छप्पन भोग) बनाए जाते हैं।

सामूहिक भोज: अन्नकूट प्रसाद को सभी लोगों में बांटा जाता है, जिससे समाज में समानता और सौहार्द का संदेश मिलता है।

गोवर्धन पूजा के भजन और मंत्र (Bhajans and Mantras of Govardhan Puja):

Govardhan Puja

गोवर्धन पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के लिए भजन और मंत्र गाए जाते हैं।

“गोवर्धन गिरिधारी की जय”

“जय कन्हैया लाल की”

“राधे राधे”

निष्कर्ष (Conclusion):

“Govardhan Puja” हमें भगवान कृष्ण के आदर्शों और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने का अवसर प्रदान करती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें अहंकार से दूर रहकर, प्रकृति और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना चाहिए। गोवर्धन पूजा हमें एकता, प्रेम, और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देती है।



Sobha Devi is an experienced admin with a passion for writing. She brings a unique perspective to her work, blending creativity with insight

Sharing Is Caring:

Leave a Comment