ईद-उल-फितर: आत्मिक शुद्धि और भाईचारे का पवित्र उत्सव

परिचय (Introduction):

ईद-उल-फितर(Eid-ul-Fitr): इस्लाम धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे रमजान के पवित्र महीने के समापन पर मनाया जाता है। यह त्यौहार दुनिया भर के मुसलमान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूरे महीने के रोज़ों और इबादत का समापन और अल्लाह का आभार प्रकट करने का दिन है। इसे “मीठी ईद” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन खासतौर पर मिठाई और विशेष व्यंजनों का आदान-प्रदान किया जाता है।

ईद-उल -फितर का महत्व और धार्मिक आधार (Significance and religious basis of Eid-ul-Fitr):

ईद – उल -फितर का सीधा संबंध रमजान से है। रमज़ान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना होता है। और इस पूरे महीने में मुसलमान सुबह से शाम तक रोज़ा (व्रत) रखते हैं। रोज़े का उद्देश्य आत्म-नियंत्रण, आध्यात्मिक उन्नति और पवित्रता को बढ़ावा देता है। रमज़ान के महीने में कुरान शरीफ का नाजिल होना भी हुआ था, इसलिए यह महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। रोज़ा केवल शारीरिक भूख और प्यास से दूर रहना नहीं है, बल्कि यह एक साधन है जिसके जरिए इंसान अपनी आत्मा को पवित्र करता है और बुरे विचारों, कर्मों से खुद को भी दूर रखता है।

ईद – उल- फितर (Eid-ul-Fitr):

उसी रमज़ान महीने में खत्म होने के बाद शावल महीने की पहली तारीख को मनाई जाती है। इस दिन अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है कि उसने रमज़ान के रोज़ों को पूरी करने का सामर्थ्य दिया और इस अवसर पर गरीबों और जरूरतमंदों के साथ खुशी बांटने का महत्व दिया। यही कारण है कि ईद-उल -फितर को सदका (दान) और जकात (धार्मिक दान) का त्यौहार भी माना जाता है।

ईद उल फितर की शुरुआत: चांद देखने की परंपरा (The beginning of Eid ul Fitr: The tradition of moon sighting):

ईद -उल -फितर  के दिन की पुष्टि चांद देखने के बाद होती है। इस्लामी कैलेंडर चांद वर्ष पर आधारित है, इसलिए चांद देखने का विशेष महत्व है। रमजान के 29 वे या 30 वे दिन शाम को जब चांद दिखाई देता है, तब शावल महीने की शुरुआत होती है और अगले दिन ईद मनाई जाती है।

चांद देखना बहुत ही  हर्ष और उल्लास का अवसर होता है। मुसलमान परिवार और समाज के लोग चांद देखने के लिए एकत्रित होते हैं और जब चांद नजर आता है, तो सब सभी एक -दूसरे को ईद का मुबारकबाद देते हैं। यह परंपरा इस त्यौहार के उल्लास को और भी बढ़ा देती है।

ईद -उल- फितर से पहले का विशेष कार्य: फितरा (Special act before Eid ul Fitr Fitra):

ईद-उल-फितर के दिन से पहले हर मुसलमान को यह अनिवार्य होता है कि वे फितरा अदा करें।  फितरा को “सदका-ए-फितर” भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य यह है कि ईद के दिन गरीब और जरूरतमंद लोग भी इस त्यौहार का हिस्सा बन सके और उनके पास भी खाना और नए कपड़े हो सके।

फितरा की राशि प्रत्येक परिवार के सदस्य के लिए दी जाती है और इस ईद-उल-फितर की नमाज से पहले अदा करना आवश्यक होता है। यह इस्लाम की एक महत्वपूर्ण सामाजिक जिम्मेदारी है, जो यह सुनिश्चित करती है कि समाज का हर वर्ग खुशियों का अनुभव कर सके। फितरा आमतौर पर पैसे, अनाज, या अन्य आवश्यक वस्तुओं के रूप में दिया जाता है।

ईद-उल- फितर की तैयारियां (Preparations for Eid-ul-Fitr):

ईद -उल -फितर से पहले रमजान के अंतिम दिनों में विशेष तैयारियां शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं। बाजारों में  रौनक बढ़ जाती है, क्योंकि लोग नए कपड़े, जूते, और अन्य सामान खरीदते हैं। खासकर बच्चों के लिए यह बहुत ही उत्साहपूर्ण समय होता है, क्योंकि वे ईद के लिए नए कपड़े और खिलौने की खरीदारी करते हैं।

रमजान की अंतिम रात, जिसे “चांद रात” कहा जाता है, बाजारों में बहुत हलचल रहती है। लोग इस रात खरीदारी करते हैं और एक-दूसरे से मिलकर ईद की तैयारी करते हैं। महिलाएं और लड़कियां इस रात को विशेष रूप से सजने-संवरने के लिए मेहंदी लगाती है।

ईद-उल- फितर का दिन (Eid al-Fitr Day):

ईद-उल-फितर का दिन मुसलमान के लिए बेहद खास और खुशियों से भरा होता है। यह दिन सवेरे जल्दी उठकर विशेष तैयारी के साथ शुरू होता है।

यह ईद के दिन की प्रमुख गतिविधियों को  क्रमबद्ध तरीके से प्रस्तुत किया गया है:

  1. स्नान और नए कपड़े पहनना (Bathe and put on new clothes):

ईद-उल-फितर के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान किया जाता है, जिसे “गुस्ल” कहते हैं। इसके बाद नए या साफ-सुथरे  कपड़े पहने जाते हैं। यह स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक है और ईद. के उत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

2. इत्र और सुगंधित पदार्थों का उपयोग (Use of perfumes and aromatic substances):

सुबह स्नान के बाद पुरुष और महिलाएं इत्र या सुगंधित पदार्थों का उपयोग करते हैं।  यह परंपरा इस्लाम में साफ-सफाई और खुशबू की अहमियत को दर्शाती है।

3. ईद की नमाज (Eid Prayers):

ईद-उल-फितर की सबसे महत्वपूर्ण गतिविधि है ईद की विशेष नमाज। यह नमाज आमतौर पर मस्जिदों या बड़े मैदान में अदा की जाती है, जहां मुसलमान सामूहिक रूप से इकट्ठा होते हैं।  इस नमाज में पहले दो रकात नमाज पढ़ी जाती है, जिसके बाद खुतबा (प्रवचन) दिया जाता है।

ईद की नमाज में सामूहिक रूप से इकट्ठा होना इस त्यौहार की खास विशेषता है, क्योंकि यह भाईचारे और सामूहिक को प्रकट करता है। नमाज के बाद एक-दूसरे को गले लगाकर “ईद मुबारक” कहने की परंपरा है। यह पारस्परिक स्नेह और बंधुत्व प्रतीक है।

 

फितरा का अदा करना (pay fitra):

ईद की नमाज से पहले ही फितरा अदा किया जाता है, ताकि गरीब और जरूरतमंद लोग भी अपनी ईद की खुशियों में शामिल हो सके। नमाज के बाद दान देने और  गरीबों की सहायता करने की परंपरा भी होती है।

ईद के दिन का खानपान (Food on Eid Day):

ईद-उल -फितर का एक विशेष आकर्षण है पारंपरिक मिठाइयों और व्यंजनों का सेवन करना। इस दिन खासतौर पर “सिवइयां”  बनाई जाती है, जिसे “शीर खुरमा” कहा जाता है। इसके अलावा, बिरयानी, कबाब, और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं।

मुसलमान परिवारों में इस दिन का भोजन बहुत खास होता है और परिवार के सभी सदस्य और रिश्तेदार एक साथ बैठकर इसे आनंदित होते हैं। इस दिन सभी लोग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, विशेषकर  रिश्तेदारों और दोस्तों के घर, और एक-दूसरे को मिठाईयां बांटते हैं।

ईदी देने की परंपरा (Tradition of giving Eidi):

ईद के दिन की एक और प्रमुख परंपरा है “ईदी” देना। बड़े लोग, खासतौर पर माता-पिता, दादा-दादी, और अन्य रिश्तेदार बच्चों को उपहार या पैसे देते हैं, जिसे ईदी कहते हैं। यह बच्चों के दिए बेहद उत्साहजनक होता है, क्योंकि उन्हें इस दिन ईदी के रूप में खास उपहार मिलते हैं।

ईदी देना इस बात का प्रतीक है की खुशियों को बांटकर ही उन्हें बढ़ाया जा सकता है। यह परंपरा इस्लामीक समाज में परस्पर सहयोग और स्नेह को मजबूत करती है।

ईद -उल -फितर का सामाजिक और आध्यात्मिक महत्व (Social and Spiritual Significance of Eid-ul-Fitr):

ईद – उल – फितर सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और आध्यात्मिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक है। इस दिन मुसलमानों को गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करने का मौका मिलता है। फितरा और जकात के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि समाज के हर व्यक्ति को भोजन और पहनने के कपड़े उपलब्ध हो।

ईद -उल -फितर भाईचारे और एकता का त्यौहार है। इसमें अमीर और गरीब के बीच कोई भेदभाव नहीं होता। सभी लोग मिलकर एक ही स्थान पर नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को गले लगाते हैं। यह त्यौहार समाज में शांति, समृद्धि और सहयोग को बढ़ावा देता है।

ईद -उल -फितर का निष्कर्ष (Conclusion of Eid al-Fitr):

ईद -उल-फितर का संदेश यह है कि इंसान को न केवल अपनी भौतिक इच्छाओं को नियंत्रित करना चाहिए, बल्कि अपने समाज के लोगों की मदद भी करनी चाहिए। रमजान के रोज़ों के माध्यम से आत्मा-संयम और अनुशासन का जो अध्यास किया गया होता है, ईद-उल-फितर के दिन उसे आभार और दया के रूप में व्यक्त किया जाता है। 

ईद-उल-फितर इस बात की भी याद दिलाता है कि हमारी खुशियां तब तक अधूरी है, जब तक हम उन्हें दूसरों के साथ साझा नहीं करते। यही कारण है कि इस त्यौहार का असली अर्थ परस्पर स्नेह, दया, और सहयोग में निहित है।

ईद-उल-फितर का हर पहलू मुसलमान के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक अनुभव होता है, जो उन्हें न केवल अल्लाह की इबादत की याद दिलाता है, बल्कि समाज में एकजुटता और भाईचारे की भावना को भी मजबूत करता है। 

 

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