परिचय (Introduction):
Bastar Dussehra भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में मनाया जाने वाला एक अनोखा और ऐतिहासिक त्योहार है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। Bastar Dussehra लगभग 75 दिनों तक चलने वाला त्योहार है, जो इसे भारत के सबसे लंबे त्योहारों में से एक बनाता है। यह त्योहार देवी दंतेश्वरी के सम्मान में मनाया जाता है और इसमें बस्तर की आदिवासी संस्कृति, उनके रीति-रिवाज और परंपराएं जीवंत हो उठती हैं।
Bastar Dussehra का इतिहास (History of Bastar Dussehra):
Bastar Dussehra का इतिहास सैकड़ों वर्षों पुराना है। इसका आरंभ 15वीं सदी में बस्तर के शासक राजा पुरुषोत्तम देव ने किया था। राजा पुरुषोत्तम देव को देवी दंतेश्वरी का आशीर्वाद प्राप्त था, और उन्होंने इस त्योहार को देवी की आराधना के रूप में शुरू किया।
दंतेश्वरी देवी का महत्व: बस्तर क्षेत्र की आराध्य देवी दंतेश्वरी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
राजाओं की भूमिका: इस पर्व की शुरुआत राजाओं द्वारा की गई थी, और आज भी स्थानीय राजवंश इसमें सक्रिय भूमिका निभाता है।
Bastar Dussehra की अनूठी विशेषताएं (Unique Features of Bastar Dussehra):
1. आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन (Display of tribal culture):
Bastar Dussehra के दौरान बस्तर की आदिवासी जनजातियां अपने पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य और गीत प्रस्तुत करती हैं। यह पर्व आदिवासी संस्कृति का जीवंत प्रदर्शन है।
2. 75 दिनों का त्योहार (75 days festival):
दशहरा आमतौर पर 10 दिनों तक चलता है, लेकिन Bastar Dussehra 75 दिनों का त्योहार है, जो इसे अनोखा बनाता है।
3. देवी दंतेश्वरी की आराधना (Worship of Goddess Danteshwari):
इस त्योहार के दौरान मुख्य पूजा देवी दंतेश्वरी को समर्पित होती है।
4. पारंपरिक रस्में (Traditional Rituals):
रत जत्रा (Rath Yatra): विशाल रथ पर देवी दंतेश्वरी की सवारी निकाली जाती है।
मावली परघाव (Mavli Raghav): यह रस्म देवी को आमंत्रित करने का प्रतीक है।
काछन गादी (Kachan Gadi): इस अनुष्ठान में देवी को सिंहासन पर बैठाया जाता है।
Bastar Dussehra के धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू (Religious and Cultural Aspects of Bastar Dussehra):
1. धार्मिक पहलू (Religious aspect):
Bastar Dussehra देवी दंतेश्वरी की भक्ति और पूजा का पर्व है। इसे शक्ति उपासना के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
2. सांस्कृतिक पहलू (Cultural aspect):
यह पर्व बस्तर की जनजातियों को एकजुट करता है। इसमें उनकी कला, संगीत और नृत्य का प्रदर्शन होता है।
Bastar Dussehra के प्रमुख अनुष्ठान और रस्में (Major rituals and ceremonies of Bastar Dussehra):
1. जोगी बैठना (Sitting Jogi):
इस रस्म में एक जोगी पूरे त्योहार के दौरान कुटिया में ध्यानस्थ रहता है।
2. रत जत्रा (Rath Yatra):
देवी दंतेश्वरी के रथ को खींचने का कार्य बस्तर के विभिन्न समुदायों द्वारा किया जाता है।
3. मावली परघाव (Wounds on the maw):
मावली देवी, जो देवी दंतेश्वरी का एक स्वरूप मानी जाती हैं, को मुख्य पूजा स्थल पर आमंत्रित किया जाता है।
4. सामूहिक नृत्य और गायन (Group dancing and singing):
जनजातीय समूह अपने पारंपरिक परिधान पहनकर देवी की आराधना के लिए सामूहिक नृत्य और गायन करते हैं।
Bastar Dussehra में भाग लेने का अनुभव (Experience of participating in Bastar Dussehra):
1. पर्यटकों के लिए आकर्षण (Attraction for tourists):
Bastar Dussehra न मात्र स्थानीय वासियों, बल्कि पर्यटकों तक पसंदीदा स्थल है।
स्थानीय भोजन: महुआ और अन्य पारंपरिक व्यंजन पर्यटकों के लिए अनोखा अनुभव प्रदान करते हैं।
हस्तशिल्प बाजार: बस्तर की अद्वितीय हस्तशिल्प कला इस दौरान प्रदर्शित की जाती है।
2. आध्यात्मिक अनुभव (Spiritual experience):
इस त्योहार के दौरान वातावरण पूरी तरह से आध्यात्मिक होता है।
Bastar Dussehra का आधुनिक महत्व (Bastar Dussehra का आधुनिक महत्व):
आज के समय में, Bastar Dussehra केवल धार्मिक पर्व नहीं रहा, बल्कि यह सांस्कृतिक धरोहर और पर्यटन का प्रतीक बन गया है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश: इस पर्व में प्रकृति और पर्यावरण को महत्व दिया जाता है।
आदिवासी संस्कृति का संरक्षण: यह पर्व आदिवासी परंपराओं को संरक्षित और बढ़ावा देने का माध्यम है।
Bastar Dussehra और अन्य दशहराओं में अंतर (Difference between Bastar Dussehra and other Dussehra):
| विशेषता | Bastar Dussehra | अन्य दशहरा |
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| अवधि | 75 दिन | 10 दिन |
| पूजा, देवी I दंतेश्वरी I परमेश्वर राम की पूजा |
| प्रमुख रस्में | Rath Yatra, Jogi बैठना | रावण दहन |
| सांस्कृतिक महत्व | आदिवासी संस्कृति का प्रदर्शन | मुख्य रूप से धार्मिक |
निष्कर्ष (Conclusion):
Bastar Dussehra भारत के त्योहारों में अपनी विशिष्टता के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व देवी दंतेश्वरी की भक्ति, आदिवासी संस्कृति और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। इस पर्व के दौरान मनुष्य और प्रकृति के बीच संतुलन का महत्व भी समझाया जाता है। Bastar Dussehra हमें अपने रीति-रिवाजों और परंपराओं के प्रति गर्व महसूस कराता है।