शिची-गो-सान: जापान का बच्चों की लंबी उम्र और समृद्धि का पारंपरिक उत्सव

परिचय (Introduction):

शिची-गो-सान (Shichi-Go-San): जापान का एक पारंपरिक त्यौहार है जो मुख्य रूप से बच्चों की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य के लिए मनाया जाता है।  इसका शाब्दिक अर्थ है “सातपाँचतीन,” जो जो उस उम्र को दर्शाता है जब यह उत्सव मनाया जाता है: 7 साल की लड़कियों, 5 साल के लड़कों, और 3 साल के बच्चों के लिए यह उत्सव खास तौर पर आयोजित होता है। यह त्यौहार हर साल 15 नवंबर को मनाया जाता है।

इस लेख में, हम शिची-गो-सान  के इतिहास, परंपराओं, समारोह हो और इसके महत्व को विस्तार से देखेंगे।  इसके साथ ही, हम समझेंगे कि यह त्यौहार क्यों और कैसे मनाया जाता है और इसका संस्कृत और सामाजिक संदर्भ क्या है। 

शिची-गो-सान  का इतिहास (History of Shichi-go-san):

शिची-गो-सान  त्यौहार की उत्पत्ति जापान के हेयान काल (794-1185) हैं। से मानी जाती है, जब समुराई और अभिजात वर्ग के लोग अपने बच्चों की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए विशेष अनुष्ठान करते थे। उस समय, जापान में शिशु मृत्यु दर काफी अधिक थी।  और बचपन के पहले कुछ साल बच्चों के जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण होते थे।  इसलिए, बच्चों के स्वास्थ्य रूप से बड़े होने का जश्न मनाने के लिए इस तरह के अनुष्ठान किए जाते थे। 

इस त्योहार से जुड़े विभिन्न अनुष्ठान और परंपराएं परिवारों की धार्मिक आस्था और सामाजिक स्थिति को दर्शाती थी। समुराई परिवारों में, बच्चों को 3, 5, और 7 साल की उम्र में विभिन्न अनुष्ठानों से गुजर जाता था।  ताकि उन्हें बुरी आत्माओं से बचाया जा सके और उनके स्वास्थ्य विकास के लिए प्रार्थना की जा सके। 

प्रारंभ मे, यह उत्सव केवल समुराई और उच्च वर्ग के परिवारों तक सीमित था, लेकिन बाद में यह आम जनता में भी लोकप्रिय हो गया और धीरे-धीरे पूरे जापान में मनाया जाने लगा। समय के साथ, शिचीगोसान एक धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव बन गया, और इसे खासतौर पर शिंतो और बौद्ध मंदिरों में मनाया जाने लगा। 

शिची-गो-सान  का महत्व (The Significance of Shichi-Go-San):

शिचीगोसान  त्यौहार बच्चों के जीवन में महत्वपूर्ण मोड़ को चिह्नित करता है। जापानी संस्कृति में 3, 5 और 7 की उम्र को शुभ माना जाता है, और इन उम्रों में बच्चों का विकास एक नए चरण में प्रवेश करता है।

3 साल की उम्र: यह उम्र बच्चों के लिए खास होती है क्योंकि यह वह समय होता है जब बच्चों को अपने सिर के बाल पूरी तरह बढ़ाने की अनुमति दी जाती है। पहले, जापान में छोटे बच्चों के सिर के बाल मुंडवाए जाते थे। और 3 साल की उम्र में उन्हें बाल बढ़ाने की इजाजत दी जाती थी, जिसे एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक कदम माना जाता था। 

5 साल की उम्र: यह लड़कों के लिए खास होती है। इस उम्र में लड़कों को पहली बार हकामा (एक पारंपरिक जापानी पोशाक) पहनने का मौका मिलता है। यह अनुष्ठान लड़कों के पुरुषत्व की और पहला कदम माना जाता है। 

7 साल की उम्र: यह लड़कियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस उम्र में उन्हें पहली बार ओबी (किमोनो का एक विशेष बेल्ट) पहनने की अनुमति मिलती है। ओबी  एक किमोनो का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है और इसे पहनना एक लड़की के महिला बनने की दिशा में पहला कदम माना जाता है। 

इन उम्र में बच्चे शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से एक नए चरण में प्रवेश करते हैं, और शिची-गो -सान के दौरान उन्हें समाज में इस नए चरण के लिए स्वीकार किया जाता है। 

शिची-गो-सान  के अनुष्ठान और समारोह (Rites and Ceremonies of Shichi-Go-San):

1. मंदिर में पूजा (ओमियामाइरी) (Worship at the shrine (Omiyamairi):

शिचीगोसान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा मंदिर में जाकर पूजा करना है। परिवार अपने बच्चों को शिंतो मंदिरों हो या बौद्ध मंदिरों में ले जाते हैं, जहां बच्चे पारंपरिक जापानी पोशाक पहनते हैं।  मंदिर में विशेष अनुष्ठान होते हैं जिनमें पुजारी बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य, लंबी उम्र, और समृद्ध भविष्य के लिए प्रार्थना करते हैं। 

इस अवसर पर, बच्चे विशेष रूप से बनाए गए किमोनो पहनते हैं।  लड़कियां खूबसूरत किमोनो और ओबी पहनती है, जबकि लड़के हकामा पहनते हैं।  छोटे बच्चे, विशेष रूप से 3 साल के बच्चे 3 साल के बच्चे, कभी-कभी पारंपरिक शैली के बजाय आधुनिक कपड़े भी पहन सकते हैं। 

2. चिटोस से मिठाई (Chitose Ame):

शिची-गो-सान के दौरान, बच्चे विशेष रूप से चिटोस आमे  नामक मिठाई प्राप्त करते हैं।  यह लंबी, पतली लाल और सफेद रंग की  कैंडी होती है, जो लंबी उम्र और समृद्धि का प्रतीक है।  “चिटोस” का अर्थ है “हजार साल, “जो जीवन की दीर्घकालीकता की कामना करता है। इस मिठाई को पारंपरिक रूप से एक सुंदर सजावट वाले बैग में दिया जाता है, जिसमें बांस, कछुए, और सारस जैसे शुभ प्रतीक होते हैं, जो लंबी उम्र और सौभाग्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।

3. पारिवारिक फोटो सेशन (Family photo session):

शिची-गो-सान के दौरान, परिवार अपने बच्चों की तस्वीरें खिंचवाने के लिए फोटोग्राफर के पास जाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है क्योंकि यह बच्चों के जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ को संजोने का तरीका होता है।  फोटो सेशन में बच्चे पारंपरिक किमोनो पहनते हैं और अपने माता-पिता और भाई-बहनों के साथ पोज़ देते हैं।

4. गिफ्ट और दावतें (Gifts and treats):

शिची-गो-सान के दौरान, परिवार और रिश्तेदार बच्चों को गिफ्ट और शुभकामनाएँ देते हैं।  उपहारों में कपड़े, खिलौने, और चिटोस आमे शामिल होते हैं।  इसके अलावा, इस दिन परिवार विशेष भोजन तैयार करते हैं और घर पर या बाहर रेस्तरां  में जाकर इस उत्सव को मनाते हैं। 

5. पारंपरिक पोशाक (Traditional costume):

शिची-गो-सान में बच्चे खास तौर पर पारंपरिक जापानी कपड़े पहनते हैं, जो इस त्यौहार का एक प्रमुख हिस्सा है। लड़कियां और लड़के अलग-अलग प्रकार के कपड़े पहनते हैं:

लड़कियां (3 और 7 की उम्र): छोटी लड़कियां (3 साल की) और बड़ी लड़कियां (7 साल की) सुंदर किमोनो पहनती है। 3 साल की लड़कियां सादा और कमरबंद किमोनो पहनती है, जबकि 7 साल की लड़कियां ओबी (विशेष बेल्ट)  के साथ पूरी तरह से सजाया हुआ किमोनो पहनती है। यह ओबी पहनना एक लड़की के युवा से महिला बनने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जाता है।

लड़के (5 साल  की उम्र): 5 साल के लड़के हकामा पहनते हैं, जो पारंपरिक जापानी पोशाक का एक हिस्सा है। हकामा ढीले पैंट की तरह होते हैं और इन्हें किमोनो के ऊपर पहना जाता है। लड़के इस अवसर पर पहली बार हकामा पहनते हैं, जो उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है। 

आधुनिक शिची-गो-सान (Modern shichi-go-san):

हालांकि शिची-गो-सान की परंपराएं आज भी जीवित है, लेकिन आधुनिक जापान में इस त्यौहार का तरीका थोड़ा बदल गया है। कई परिवार अब पारंपरिक किमोनो के बजाय बच्चों के लिए आधुनिक कपड़े चुनते हैं, और कुछ परिवार केवल फोटोग्राफी के लिए किमोनो किराए पर लेते हैं। इसके अलावा, शिची-गो-सान के दिन मंदिर जाने की परंपरा अब कुछ परिवारों तक सीमित हो गई है, क्योंकि कई लोग इसे अब केवल एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मानते हैं, धार्मिक अनुष्ठानों के रूप में नहीं।

इसके बावजूद, शिची-गो-सान जापान की संस्कृति में गहरे रूप से निहित है, और इस त्यौहार के माध्यम से लोग अपने बच्चों के स्वास्थ्य और सुखद भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं। 

शिची-गो-सान का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व (Social and Cultural Significance of Shichi-Go-San):

शिची-गो-सान न केवल एक पारंपरिक त्यौहार है, बल्कि यह जापानी समाज में बच्चों के जीवन के महत्वपूर्ण चरणों को चिह्नित करता है। यह त्यौहार परिवारों को एक साथ लाता है और बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकाओं को मनाने का अवसर प्रदान करता है।

शिची-गो-सान जापान की सांस्कृतिक धरोहर और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है। यह त्यौहार दिखाता है कि कैसे जापानी समाज अपने परम पारिवारिक बंधनों को मजबूत बनाए रखना है और बच्चों को अपने समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा मानता है।

निष्कर्ष (Conclusion):

शिची-गो-सान जापान के सबसे खास पारंपरिक त्यौहारों में से एक है, जो बच्चों की वृद्धि, स्वस्थ और दीर्घायु का जश्न मनाता  है। इस उत्सव के माध्यम से बच्चे अपने परिवार और समाज में एक नई भूमिका निभाने के लिए तैयार होते हैं। यह त्यौहार पीढ़ियों  से जापान की संस्कृति और समाज का अभिन्न हिस्सा बना हुआ  है, और यह आज भी पूरे हर्षोल्लास और पारंपरिक रूप में मनाया जाता है।

शिची-गो-सान केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह जापानी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक भी है।

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