परिचय (Introduction):
भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता में अनेक त्यौहारों का विशेष स्थान है। इनमें से एक प्रमुख त्यौहार है Ratha Yatra, जो भगवान जगन्नाथ को समर्पित है। यह उत्सव ओडिशा राज्य के पुरी में हर साल भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इसे भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा के रूप में जाना जाता है।
Ratha Yatra का महत्व (Importance of Rath Yatra):
Ratha Yatra का मुख्य उद्देश्य भगवान जगन्नाथ को उनके भक्तों के करीब लाना है। यह त्यौहार धार्मिक आस्था और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। माना जाता है कि इस दिन भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह यात्रा समाज में समानता, भाईचारे और भक्तिभाव का संदेश देती है।
रथ यात्रा का इतिहास (History of Rath Yatra):
प्राचीन परंपरा (Ancient tradition):
Ratha Yatra की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। यह उत्सव वैदिक काल से ही मनाया जा रहा है। स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण और पद्म पुराण जैसे धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख मिलता है।
भगवान जगन्नाथ का मंदिर (Temple of Lord Jagannath):
पुरी का जगन्नाथ मंदिर 12वीं शताब्दी में गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध है।
रथ यात्रा की तैयारी (Preparations for the Rath Yatra):
Ratha Yatra की तैयारियां उत्सव से महीनों पहले शुरू हो जाती हैं। रथ निर्माण, साज-सज्जा, और मंदिर की साफ-सफाई विशेष रूप से की जाती है।
रथों का निर्माण (Construction of chariots):
जगन्नाथ रथ (नंदीघोष): यह भगवान जगन्नाथ का रथ है, जो 45 फीट ऊंचा और 16 पहियों वाला होता है।
बलभद्र रथ (तालध्वज): यह भगवान बलभद्र का रथ है, जिसकी ऊंचाई 44 फीट होती है।
सुभद्रा रथ (दर्पदलन): यह देवी सुभद्रा का रथ है, जो 43 फीट ऊंचा होता है।
लकड़ी का चयन (Wood selection):
रथ निर्माण के लिए विशेष प्रकार की लकड़ी का चयन किया जाता है। इन लकड़ियों को पुरी के नजदीकी जंगलों से लाया जाता है।
रथ यात्रा का आयोजन (Organizing a Rath Yatra):
स्नान यात्रा (Bath trip):
रथ यात्रा से पहले “स्नान पूर्णिमा” पर भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा का भव्य स्नान होता है। इसे Snana Yatra कहा जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है।
अनवसर (opportunity):
स्नान यात्रा के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार हो जाते हैं और 15 दिनों तक उनके दर्शन बंद रहते हैं। इसे “अनवसर काल” कहा जाता है।
गुंडिचा यात्रा (Gundicha Trip):
रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ अपने भाई और बहन के साथ गुंडिचा मंदिर जाते हैं। यह यात्रा लगभग 3 किलोमीटर की होती है।
रथ खींचने की परंपरा (Tradition of chariot pulling):
हजारों भक्त भगवान के रथ को खींचने के लिए उमड़ पड़ते हैं। माना जाता है कि रथ खींचने से सारे पाप धुल जाते हैं और भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रथ यात्रा के दौरान समारोह (Celebrations during Rath Yatra):
कीर्तन और भजन (Kirtans and Bhajans):
रथ यात्रा के दौरान भजन और कीर्तन गाए जाते हैं। भक्तगण भगवान के नाम का जयघोष करते हैं।
प्रसाद वितरण (Prasad distribution):
इस दिन “महाप्रसाद” का वितरण किया जाता है। यह प्रसाद पुरी मंदिर के अन्न क्षेत्र से तैयार होता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम (Cultural programme):
रथ यात्रा के समय विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें लोक नृत्य, संगीत और नाटक शामिल होते हैं।
रथ यात्रा का वैश्विक प्रभाव (Global impact of Rath Yatra):
अंतर्राष्ट्रीय आयोजन (International events):
Ratha Yatra अब केवल भारत तक सीमित नहीं है। इसे अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है।
इस्कॉन का योगदान (Contribution of ISKCON):
इस्कॉन (इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस) द्वारा रथ यात्रा का आयोजन दुनियाभर में किया जाता है। इस्कॉन के माध्यम से इस उत्सव ने वैश्विक पहचान बनाई है।
निष्कर्ष (Conclusion):
Ratha Yatra न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। भगवान जगन्नाथ की यह यात्रा हमें भक्ति, समानता और प्रेम का संदेश देती है। इस त्यौहार की भव्यता और इसके पीछे की आध्यात्मिकता हमें जीवन में धर्म और आस्था के महत्व को समझने में मदद करती है।